क्या भूलूं क्या याद करूं
क्या भूलूं क्या याद करूं,
जो मिला वो दिखा नहीं, क्या जो नही मिला उस पर बरसात करू
क्या भूलूं क्या याद करूं।।
चला था नीड़ का निर्माण करने ,
कुछ मित्र मिले कुछ इत्र मिले
पर भीड़ बन गई अब कैसे खुद को इजात करूं
क्या भूलूं क्या याद करूं
स्नेह , प्रेम , रिश्ते नाते न मिले
पर जीवन में कुछ इंसान मिले उन्हें किस्मत कहूं या सौगात कहूं
क्या भूलूं क्या याद करूं
कुछ ने कहा बोलो कुछ ने कहा शांत रहो,
खूब रोया खूब चिल्लाया में
पर मन ने कहा एक का अंत करूं
क्या भूलूं क्या याद करूं
अब जीवन के अंतिम पड़ाव पर सब याद आ रहा, किसी पर रुकूं या बंद आंखों में विलाप करूं
क्या भूलूं क्या याद करूं।
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